राजस्थान के नागौर जिले में jalsu railway station है। इसकी खास बात यह है की यह रेलवे स्टेशन गांव के लोगों के द्वारा दिए जाने वाले चंदे से चलता है।
आखिर इंडियन रेलवे ने क्यों बंद कर दिया था, जालसू नानक हाल्ट रेलवे स्टेशन
आपकी जानकारी के लिए बता दें, भारतीय रेलवे 2005 में एक नई पॉलिसी लेकर आया था। जिसमें उन रेलवे स्टेशन को बंद करना था, जिनसे रेलवे को बहुत कम आय होती थी। इसी क्रम में जोधपुर रेल मंडल के अंतर्गत जालसू नानक हाल्ट Railway Station आता था, जो कि काफी लंबे समय से रेलवे के अनुसार घाटे में चल रहा था। इसलिए रेलवे ने jalsu railway station को बंद करने का निर्णय लिया था।
ग्रामीण लोगों ने किया स्टेशन बंद करने के फैसले का विरोध
जालसू नानक रेलवे स्टेशन बंद होने पर गांव के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। जिसके बाद रेलवे अधिकारियों ने ग्रामीणों के सामने रेलवे स्टेशन चलाने की शर्त रखी। जिसको Jalsu nanak के ग्रामीणों ने बखूबी पूरा किया। तब से लेकर अब तक यह रेलवे स्टेशन 15 साल से ज्यादा समय से गांव के लोगों के द्वारा चलाया जा रहा है l रोचक बात तो यह है कि इस रेलवे स्टेशन से अच्छी कमाई भी हो रही है l
रेलवे अधिकारियों ने रखी थी यह शर्त
भारतीय रेलवे द्वारा जब jalsu railway station बंद कर दिया गया, तो ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया और Station पर ही अपना धरना चालू कर दिया था l यह धरना प्रदर्शन लगभग 11 दिनों तक चला था l
भारतीय रेलवे के अधिकारियों ने ग्रामीणों के सामने शर्त रखी कि हर महीने आपको 1500 टिकट या 50 टिकट बेचना होगा। ऐसा करना छोटे से रेलवे स्टेशन के लिए बड़ा मुश्किल काम था। लेकिन ग्रामीणों ने इस शर्त को अपने जुनून में बदल दिया और घाटे के रेलवे स्टेशन को मुनाफे में ला दिया।
गांव वालों ने इस तरह रेलवे अधिकारियों की शर्त को किया पूरा l
गांव वाले बताते हैं की रेलवे की शर्त को पूरा करने के लिए उन्होंने गांव के हर घर से चंदा इकट्ठा करना शुरू किया। जो चंदा इकट्ठा हुआ उस पैसे से उन्होंने 1500 टिकट खरीदें। बाकी बचे हुए पैसे को ब्याज के लिए इन्वेस्ट कर दिया।
इसके अलावा गांव वालों ने गांव में से ही 5000 हर महीने की सैलरी पर एक व्यक्ति को टिकट बेचने के लिए रख लिया। टिकट बेचने से जो कमीशन मिला, उससे उस व्यक्ति की सैलरी दी गई।
फौजियों का गांव है Jalsu nanak
यह जालसू नानक गांव, राजस्थान के डेगाना तहसील के नागौर जिले में पड़ता है। यहां हर दूसरे घर में फौजी है, जो indian army, navy, airforce, bsf, crpf इत्यादि में नौकरी करते हैं। इसलिए इसको फौजियों का गांव बोला जाता है।
क्योंकि इस गांव में फौजियों की बड़ी संख्या है इसलिए भारतीय रेलवे ने 45 साल पहले यानि 1976 में फौजियों और उनके परिवार को सुविधा देने के लिए Jalsu Nanak Halt रेलवे स्टेशन शुरू किया था। लेकिन कुछ समय बाद रेलवे की पॉलिसी बदलने के कारण इस रेलवे स्टेशन को बंद कर दिया गया था। फौजीओ के जूनून और मैनेजमेंट ने ही जालसू रेलवे स्टेशन की सूरत बदल दी I यहां के गांव वालों ने मैनेजमेंट की एक नई मिसाल पेश की है। indian railway ने घाटे के चलते यह रेलवे स्टेशन बंद कर दिया था। गांव वालों ने अपनी मेहनत और लगन से चलाया ही नहीं बल्कि 30,000 से ज्यादा हर महीना मुनाफा भी कमाया है।